आज फिर बारिश आई है
आज फिर...
आज फिर बारिश आई है
मिट्टी की वो सोंधी सी खुशबू भी
अपने साथ लाइ है
आज फिर बारिश आई है
सूखी सी थी घर की छत मेरी
उसपर ठंडी सी बौछार आई है
हाँ आज मौसम की पहली बरसात आई है
वहीं मुंडेर पर बैठी वो मायूस सी चिड़िया
एक बार फिर चहकाई है
लम्बे इंतज़ार के बाद बारिश जो आई है
यूहीं तन्हा अकेले बैठे
तुम्हारे बारे में सोच रहा था मैं
इतने में ही
कुछ बूदें, मेरी, तेरी दी हुई शर्ट पर भी आई हैं
आज एक बार फिर बारिश के साथ
तेरी यादों की भी बौछार आई हैं
यही सोचते सोचते पूरा भीग गया मैं
तेरी यादों में ?
हाँ.. ना.. इस बार बारिश में
तेरी यादों में जाने मेरी
कितनी शामें गुम हैं
मेरी साँसों में,
हर अनकही बातों में,
गुज़ारी हुई हर रातों में
सिर्फ तू है
उफ़ तेरी यादें...
इतनी सारी और इतनी प्यारी हैं
की अगर अब शायद
तुम भी मेरे सामने हुईं
तो भी शायद मैं तुम्हारी यादों में ही खोया रहूं
पर तुम इस बात पर फिर से नाराज़ मत हो जाना
कभी कभी समझ नहीं आता
की इस बात पर खुश हो जाऊं या उदास
फिर सोचता हूँ की
खुश हो जाता हूँ
इतनी सारी यादों के साथ
आज फिर बारिश आई है
मिट्टी की सोंधी सी खुशबु भी
अपने साथ लाइ है
आज फिर...
आज फिर बारिश आई है