कितना अच्छा होता

June 18, 2025

अभी रात में किताबें पढ़े बिना
नींद नहीं आती
अगर किताबें तुम पढ़कर सुनातीं
तो कितना अच्छा होता

मैं जब थक कर
छाँव में बैठता
और वो छाँव
तुम्हारे दुपट्टे की होती
तो कितना अच्छा होता 

मैं जब सुबह
चाय की चुस्कियां लेता 
तब तुम भी मेरे साथ होतीं
तो कितना अच्छा होता 

मैं जब शाम को छत पर
ढलता सूरज देखने बैठता
पर अगर उस वक़्त तुम मेरी बाहों में होतीं
तो कितना अच्छा होता 

मेरी हर सांस में
मेरे दिल की धड़कन की आवाज़ में
मेरी ज़िन्दगी के हर लम्हें में
तुम मेरे साथ होतीं तो कितना अच्छा होता 

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