क्या लिखूं मैं तुम्हें
जब देखा था तुम्हें पहली बार
तब सोचा था कि इनके बारे में कुछ तो लिखूंगा।
फिर अगले ही पल जब ग़ौर किया
तब दिमाग़ पर ज़ोर दिया।
आँखों से जब देखा तुम्हें
तो सोचा कि नूर पर लिखूंगा।
फिर जब बातें सुनी तो सोचा कि बातों पर लिखूंगा।
जब हृदय को जाना, तब सोचा कि नहीं, इनके तो हृदय पर लिखूंगा।
उफ़्फ़...